
“हेलो, मैं धर्मेंद्र प्रधान बोल रहा हूँ!”
शनिवार दोपहर करीब 1:30 बजे कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत को एक कॉल आया। सामने वाले ने पूरी आत्मविश्वास से खुद को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बताया।
लेकिन भाई साहब ये क्या! Caller ID ने पोल खोल दी। नंबर न प्रधान का, न सरकार का—बल्कि पता चला कि ये कॉलर तो Google पर ‘How to become a minister in 2 minutes’ सर्च करके आया था!
कॉलर का नंबर निकला जाली, शक हुआ तो सीधे असली मंत्री को किया कॉल
राज्यपाल गहलोत कोई नौसिखिए नहीं हैं। उन्होंने कॉलर की आवाज़, लहजे और caller ID तीनों को देखा और सोचा — “ये मंत्री तो Fake लग रहा है!”
थोड़ी देर बाद वही व्यक्ति फिर कॉल करता है और अपने “मंत्रीपना” को साबित करने की कोशिश करता है।
गहलोत जी ने सीधे असली मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को कॉल मिलाया।
उत्तर आया — “मैंने कोई नंबर नहीं बदला, और ना ही आपको कॉल किया।”
साइबर क्राइम पुलिस एक्शन में, केस दर्ज
इस हाई-प्रोफाइल साइबर ड्रामे के बाद बेंगलुरु पुलिस एक्टिव हो गई। साइबर क्राइम सेल ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस आयुक्त सीमांत कुमार सिंह ने बीबीसी से बातचीत में बताया:
“यह पहचान बदलकर फ़र्जीवाड़ा करने का मामला है। हम गंभीरता से जांच कर रहे हैं।”
अब आरोपी को खोजा जा रहा है — माना जा रहा है कि उसके पास Truecaller Pro, Acting Course Certificate, और शायद एक Netflix का सब्सक्रिप्शन भी है।
असली सवाल: अगर राज्यपाल को ही फ़ेक कॉल आ सकता है, तो आम जनता का क्या?
सवाल ये उठता है कि जब देश के एक राज्यपाल को भी साइबर फ्रॉड कॉल आ सकता है, तो आम आदमी किस खेत की मूली है?
शायद अगली बार कॉल आएगा —
“नमस्ते, मैं राष्ट्रपति बोल रहा हूँ… आपकी OTP चाहिए!”
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